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Saturday, August 25, 2018

मगध राज्य।


                    मगध राज्य


 ➢ मगध राज्य के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दु:


  • मगध के सबसे प्राचीन वंश के संस्थापक बृहद्रथ था।
  • जरासंध के पिता का नाम बृहद्रथ था।
  • मगध की राजधानी गिरिब्रज (राजग्रह) थी।
  • मगध की गद्दी पर बिम्बिसार 545 ई0 पू0 में बैठा।
  • बिम्बिसार हर्यक वंश का संस्थापक था।
  • बिम्बिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया।
  • बिम्बिसार ने राजग्रह का निर्माण कर उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • बिम्बिसार ने मगध पर करीब 52 वर्षों तक शासन किया।
  • महात्मा बौद्ध की सेवा में बिम्बिसार ने राजवैद्य जीवक को भेजा था। अवंति के राजा प्रद्योत जब पाण्डु रोग से ग्रसित थे उस समय भी बिम्बिसार ने जीवक को उनकी सेवा के लिए भेजा था।
  • बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंध स्थापित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इसने कोशल नरेश प्रसेनजित की बहन महाकोशला से, वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्लना से तथा मद्र देश (आधुनिक पंजाब) की राजकुमारी झेमा से शादी की।
  • बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी और वह 493 ई0 पू0 में मगध की गद्दी पर बैठा।

  • अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था।
  • अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक मगध पर शासन किया।
  • अजातशत्रु प्रारंभ में जैनधर्म का अनुयायी था।
  • अजातशत्रु के सुयोग्य मंत्री का नाम वर्षकार (वरस्कार) था। इसी की सहायता से अजातशत्रु ने वैशाली पर विजय प्राप्त की।
  • अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदायिन् ने 461 ई0 पू0 में कर दी और वह मगध की गद्दी पर बैठा।
  • उदायिन् ने पाटिलग्राम की स्थापना की।
  • उदायिन् भी जैनधर्म का अनुयायी था।
  • हर्यक वंश का अंतिम राजा उदायिन् का पुत्र नागदशक था।
  • नागदशक को उसके अमात्य शिशुनाग ने 412 ई0 पू0 में अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
  • शिशुनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित की।
  • शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक पुनः राजधानी को पाटलिपुत्र ले गया।
  • शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था।
  • नंदवंश का संस्थापक महापद्म नंद था। 
  • नंदवंश का अंतिम शासक घनानंद था। यह सिकंदर महान का समकालीन था। इसे चंद्रगुप्त मौर्य ने युद्ध में पराजित किया और मगध पर एक नये वंश 'मौर्य वंश' की स्थापना की।

नोटः  बिम्बिसार बौद्ध धर्म का अनुयायी था।

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