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Saturday, August 25, 2018

सिन्धु सभ्यता।

          

                      सिन्धु सभ्यता


 ➢ सिन्धु सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण बातें:



  • सिन्धु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी।
  • रेडियोकार्बन जैसी नवीन विश्लेषण पध्दति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2350 ई0 पू0 से 1750 ई0 पू0 मानी गयी है।
  • इस सभ्यता के निवासी द्रविड़ एंव भुमध्यसागरीय थे।
  • सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता में 6 नगरों को बड़ी नगरों की संज्ञा दी गयी है, ये हैं- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा राखीगढ़ी और कालीबंगन। 
  • स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए है।
  • जोते हुए खेत और नक्काशीदार ईटों का प्रयोग कालीबंगन नगर में हुआ।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार को सिन्धु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत मानी जाती है।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त बृहत् स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की मुर्ति मिली है। उनके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता, और भैया विराजमान है।
  • मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है।
  • हड़प्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है।
  • सिन्धु सभ्यता का बन्दरगाह था- लोथल और सुतकोतदा।
  • सिन्धु सभ्यता की लिपी भावचित्रात्मक है। यह लिपी दाईं से बाईं की ओर लिखी जाती थी। जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दाईं से बाईं और दूसरी बाईं से दाईं ओर लिखी जाती थी।
  • सिन्धु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
  • घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की ओर न खुलकर पिछवाड़े की ओर खुलते थे। केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे।
  • सिन्धु सभ्यता में मुख्य फसल थी- गेहूँ और जौ।
  • रंगपुर और लोथल से चावल के दाने मिले है, जिनसे धान की खेती होने का भी प्रमाण मिलता है।
  • सिन्धु सभ्यता के लोग मिठाई के लिए शहद का प्रयोग करते थे।


  • सिन्धु सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियों और चार पहियों वाली बैलगाड़ी या भैसगाड़ी का उपयोग करते थे।
  • इस सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे।
  • वृक्ष-पूजा और शिव-पूजा के प्रचलन के सबूत भी सिन्धु सभ्यता से मिलते है।
  • सिन्धु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
  • स्वस्तिक चिन्ह संभवतः हड़प्पा सभ्यता की देन है। इस चिन्ह से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है।
  • सिन्धु सभ्यता के नगरों में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले है।
  • पशुओं में कुबड़ वाला साँड़, इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पुज्यनीय था। 
  • सिन्धु सभ्यता के लोग सूती और ऊनी वस्त्रों का उपयोग करते थे।
  • मनोरंजक के लिए सिन्धुवासी मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना, चौपड़ और पासा आपस में खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे।
  • सिन्धु घाटी के लोग तलवार से परिचित नहीं थे।
  • पर्दा-प्रथा और वेश्यावृत्ति सिन्धु सभ्यता में प्रचलित थी।
  • शवों को जलाने और गाड़ने यानी दोनों प्रथाएँ प्रचलित थी। हड़प्पा में शवों को गाड़ने और मोहनजोदड़ो में शवों को जलाने की प्रथा विद्यमान थी। 
  • सिन्धु सभ्यता के विनाश का संभवतः सबसे प्रभावी कारण बाढ़ था।

नोट: मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा                शब्द का अभिप्राय सिन्धु सभ्यता से ही है।

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