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Sunday, August 26, 2018

पुष्यभूति वंश।


                    पुष्यभूति वंश

 ➢ पुष्यभूति वंश के बारे में महत्वपूर्ण बातें:


  • गुप्त वंश के पतन के बाद हरियाणा के अम्बाला जिले के थानेश्वर नामक स्थान पर नरवर्ध्दन के द्वारा पुष्यभूति वंश की स्थापना हुई।
  • पुष्यभूति वंश का सबसे प्रतापी शासक प्रभाकरवर्धन था।
  • प्रभाकरवर्धन ने अपने पुत्री राजश्री का विवाह मौखिरी वंश के शासक ग्रहवर्मन से किया।
  • मालवा नरेश देवगुप्त और गौड़ शासक मिलकर ग्रहवर्मन की हत्या कर दी।
  • प्रभाकरवर्धन के बाद राज्यवर्धन गद्दी पर बैठा, जिसकी हत्या शशांक (गौड़ शासक) नेे कर दी।
  • राज्यवर्धन के बाद 606 ई0 में 16 वर्ष की अवस्था में हर्षवर्धन राजगद्दी पर बैठा।
  • हर्षवर्धन की प्रथम राजधानी थानेश्वर (कुरुक्षेत्र के निकट) थी। बाद में इसने अपनी राजधानी कन्नौज स्थापित की।
  • हर्षवर्धन के दरबार के प्रसिद्ध कवि थे- बाणभट्ट
  • हर्षवर्धन की रचना है- नागानंद, रत्नावली, और प्रियदर्शिका।
  • हर्षवर्धन शिव का उपासक था।
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था।
  • ह्वेनसांग को यात्रियों में राजकुमार, नीति का पंडित और वर्तमान शाक्यमुनि कहा जाता है।
  • ह्वेनसांग भारत में नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने और बौद्ध ग्रंथ संग्रह करने के उद्देश्य से आया था।
  • हर्षवर्धन शिलादित्य के नाम से जाना है।
  • हर्ष ने परम् भट्टारक नरेश की उपाधि धारण की थी।
  • हर्षवर्धन प्रतिदिन 500 ब्राह्मणों और 1000 बौद्ध भिक्षुओं को भोजन कराता था।
  • हर्ष ने 643 ई0 में कन्नौज और प्रयाग में दों विशाल धार्मिक सभाओं का आयोजन किया। हर्षवर्धन के द्वारा प्रयाग में आयोजित सभा को मोक्ष-परिषद् कहा गया है।
  • बाणभट्ट के हर्षचरित के अनुसार हर्ष की मंत्रिपरिषद् इस प्रकार थी-
  1. अवन्ति-  युद्ध और शांति का मंत्रि।
  2. सिंहनाद- हर्ष की सेना का महासेनापति।
  3. कुन्तल- अश्व सेना का मुख्य अधिकारी।
  4. स्कन्दगुप्त- हस्ति सेना का प्रमुख।
  • साधारण सैनिकों को चाट और भाट, अश्व सेना के अधिकारियों को बृहदेश्वर, पैदल सेना के अधिकारियों को बलाधिकृत और महाबलाधिकृत कहा जाता था।

 नोट:  हर्षचरित के लेखक है- बाणभट्ट

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