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Wednesday, August 22, 2018

राजपूत राजवंश चौहान वंश, परमार वंश, चंदेल वंश।

                     

                      चौहान वंश

  ➢  चौहान वंश के बारे में महत्वपूर्ण बातें:


  • चौहान वंश का संस्थापक वासुदेव था। इस वंश की प्रारंभिक राजधानी अहिच्छत्र थी बाद में अजयराज द्वितीय ने अजमेर नगर की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • इस वंश का सबसे शक्तिशाली शासक अर्णोराज के पुत्र विग्रहराज-IV वीसलदेव  (1153- 1163 ई0) हुआ।
  • हरिकेली नामक संस्कृत नाटक के रचयिता विग्रहराज-IV था।
  • सोमदेव विग्रहराज-IV के राजकवि थे। इन्होंने ललित विग्रहराज नामक नाटक लिखा।
  • अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद शुरु में विग्रहराज-IV द्वारा निर्मित एक विद्यालय था।
  • इस वंश का अंतिम शासक पृथ्वीराज-III था।
  • रणथम्भौर के जैन मंदिर का शिखर पृथ्वीराज-III ने बनवाया था।
  • तराईन का प्रथम युद्ध 1191 ई0 में हुआ, जिसमें पृथ्वीराज-III ने मुहम्मद गोरी को हरा दिया।
  • तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 ई0 में हुआ, जिसमें मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया।


नोट: चंदवरदाई पृथ्वीराज-III का राजकवि था,                    जिसकी रचना पृथ्वीराजरासो है।


                 

                    परमार वंश   
  परमार वंश के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

  • परमार वंश का संस्थापक उपेंद्रराज था। इसकी राजधानी धारा नगरी थी। (प्राचीन राजधानी- उज्जैन) 
  • परमार वंश का सबसे शक्तिशाली शासक राजा भोज था।
  • राजा भोज ने भोपाल के दक्षिण में भोजपुर नामक झिल का निर्माण करवाया।
  • नैषधीयचरित के रचनाकार श्रीहर्ष थे।
  • राजा भोज ने चिकित्सा, गणित और व्याकरण पर अनेक ग्रंथ लिखे। 
  • नवसाहसाड्क चरित के रचयिता पद्मगुप्त, दशरुपक के रचयिता धनंजय, धनिक, हलायुध और अमितगति जैसे विद्वान वाक्यपति मुंज के दरबार में रहते थे।
  • कविराज की उपाधि से विभूषित शासक था- राजा भोज।
  • भोज ने अपनी राजधानी में सरस्वती मंदिर का निर्माण करवाया था।
  • इस मंदिर के परिसर में संस्कृत विद्यालय भी खोला गया था।
  • राजा भोज के शासनकाल में धारा नगरी विद्या और विद्वानों का प्रमुख केंद्र था।
  • भोज ने चित्तौड़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण करवाया।
  • परमार वंश के बाद तोमर वंश का, उसके बाद चौहान वंश का और अंतत: 1297 ई0 में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नसरत खाँ और उलुग खाँ ने मालवा पर अधिकार कर लिया।
नोट: भोजपुर नगर की स्थापना राजा भोज ने की थी।




                      चंदेल वंश

  चंदेल वंश के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

  • प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुंदेलखंड की भूमि पर चंदेल वंश का स्वतंत्र राजनितिक इतिहास प्रारंभ हुआ।
  • चंदेल वंश का संस्थापक है- नन्नुक (831 ई0)
  • इसकी राजधानी खजुराहो थी। प्रारंभ में इसकी राजधानी कालिंजर (महोबा) थी।
  • राजा धंग ने अपनी राजधानी कालिंजर से खजुराहो में स्थानांतरित की थी।
  • चंदेल वंश का प्रथम स्वतंत्र और सबसे प्रतापी राजा यशोवर्मन था।
  •  यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को हराया और उससे एक विष्णु की प्रतिमा प्राप्त की, जिसे उसने खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित की।
  • धंग ने ही  जिन्न नाथ, विश्वनाथ, वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
  • धंग ने गंगा-यमुना के पवित्र संगम में शिव की आराधना करते हुए अपने शरीर का त्याग किया।
  • चंदेल शासक विद्याधर ने कन्नौज के प्रतिहार शासक राज्यपाल की हत्या कर दी, क्योंकि उसने महमूद के आक्रमण का सामना किए बिना ही आत्मसमर्पण कर दिया था।
  • विद्याधर ही अकेला भारतीय नरेश था जिसने महमूद गजनी की महत्वाकांक्षाओं का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।
  • चंदेल शासक किर्तिवर्मन की राज्यसभा में रहनेवाले कृष्ण मिश्र ने प्रबोध चंद्रोदय की रचना की थी।
  • किर्तिवर्मन ने महोबा के समीप किर्तिसागर नामक जलाशय का निर्माण किया।
  • आल्हा-उदल नामक दों सेनानायक परमर्दिदेव के दरबार में रहते थे, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध करते हुए अपनी जान गँवायी थी।
  • चंदेल वंश के अंतिम शासक परमर्दिदेव ने 1202 ई0 में कुतुबुद्दीन ऐबक की अधिनता स्वीकार कर ली। इस पर उसके मंत्री अजयदेव ने उसकी हत्या कर दी।
नोट: बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है।




                   सोलंकी वंश

 सोलंकी वंश के बारे महत्वपूर्ण बातें:

  • सोलंकी वंश का संस्थापक मूलराज प्रथम था।
  • इसकी राजधानी अन्हिलवाड़ थी।
  • मूलराज प्रथम शैवधर्म का अनुयायी था।
  • भीम प्रथम के शासनकाल में महमूद गजनी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया।
  • भीम प्रथम के सामंत बिमल ने आबू पर्वत पर दिलवाड़ा का प्रसिद्ध जैन मंदिर बनवाया था।
  • सोलंकी वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक जयसिंह सिध्दराज था।
  • माऊण्ट आबु पर्वत (राजस्थान) पर एक मंडप बनाकर जयसिंह सिध्दराज ने अपने सात पूर्वजों की गजारोही मूर्त्तियों की स्थापना की।
  • मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण सोलंकी राजाओं के शासनकाल में हुआ था।
  • सिध्दपुर के रुद्रमहाकाल के मंदिर का निर्माण जयसिंह सिध्दराज ने ही किया था।  
  • सोलंकी शासक कुमारपाल जैन-मतानुयायी था। वह जैन धर्म के अंतिम राजकीय प्रवर्तक के रुप में प्रसिद्ध है।
  • सोलंकी वंश का अंतिम शासक भीम-II था।
  • भीम-II के एक सामंत लवण प्रसाद ने गुजरात में बघेल वंश की स्थापना की थी।
  • बघेल वंश का कर्ण-II गुजरात का अंतिम हिंदू शासक था, इसने अलाउद्दीन खिलजी की सेेनाओं का मुकााबला किया था।

नोट: प्रसिद्ध जैन विद्वान हेमचंद्र जयसिंह सिध्दराज के          दरबार में रहता था।



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