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Tuesday, August 14, 2018

गुलाम वंश

                   दिल्ली सल्तनत

    गुलाम वंश   (1206 ई0-1290 ई0)


    राजधानी:                     लाहौर,दिल्ली 
    भाषा:                          फारसी एवं तुर्क 
    धर्म:                             सुन्नी इस्लाम
    शासन :                        सल्तनत 

    प्रथम सुल्तान :              कुतुबुद्दीन ऐबक
   अतिंम सुल्तान :             शम्मुद्दीन कैमुर्स

            
       गुलाम वंश मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था वैसे तो इस वंश के स्थांपक कुतुबुद्दीन ऐबक मुहम्मद गौरी का गुलाम था। तराईन की द्वितीय युद्ध में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया, किन्तु वह जीते हुए प्रदेशों का शासन भार अपने गुलाम सेनानायक को सौंपकर गजनी चला गया।
मुहम्मद गौरी की 1206 ई0 में म्रत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वयं को दिल्ली का स्वतंत्र राजा घोषित कर गुलाम वंश की नीवं डाली। चुकी वह एक गुलाम था तो उसके वंश का नाम भी गुलाम वंश पड़ा। इस वंश ने 1206 ई0 से 1292 ई0 तक शासन किया।

 गुलाम वंश के बारे महत्वपूर्ण तथ्य :

  • गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई0 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था। वह मुहम्मद गौरी का गुलाम था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून, 1206 ई0 को करवाया था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनवायी थी।
  • दिल्ली का कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद एंव अजमेर का ढाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ने करवाया था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही कुतुबमीनार की नींव डाली थी।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्श  (लाखों का दान देनेवाला) भी कहा जाता था।
  • प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सेनापति बख्तियार खिलजी था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ई0 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गयी। इसे लाहौर में दफनाया गया।
  • ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ जिसने सिर्फ आठ महिनों तक शासन किया।

  • आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई0 में दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया।
  • इल्तुतमिश तुर्कीस्तान का इल्बरी तुर्क था, जो ऐबक का गुलाम एंव दामाद था। ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूँ का गवर्नर था।
  • इल्तुतमिश ने अपनी राजधानी लाहौर से दिल्ली लायी।
  • इल्तुतमिश द्वारा किए गए महत्त्वपूर्ण कार्य निम्न हैं।
  1. कुतुबमीनार के निर्माण को पुरा करवाया।   
  2. सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए।
  3. इक्ता प्रणाली चलाई।
  4. सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया।
  5. चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया, जो तुर्कान-ए-चिहलगानी के नाम से जाना गया।

  • इल्तुतमिश पहला शासक था, जिसने 1229 ई0 में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की।
  • इल्तुतमिश की म्रत्यु अप्रैल, 1236 ई0 में हो गयी।
  • इल्तुतमिश की म्रत्यु के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा। वह एक अयोग्य शासक था उसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान छाई रही।
  • शाह तुरकान के अधिक प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रुकनुद्दीन फिरोज को हटाकर रजिया बेगम को सिंहासन पर बैठा दिया। इस तरह रजिया बेगम दिल्ली की पहली मुस्लिम महिला शासक बनी।
  • रजिया ने पर्दाप्रथा को त्यागकर खुले मुँह राजदरबार में आया करती थी।
  • गैर तुर्क को सामंत बनाने के प्रयासों से तुर्क अमीर उसके विरुद्ध हो गए और उसे गद्दी से हटा दिया।

  • रजिया को गद्दी से हटाकर तुर्क अमीरों ने मुईजुद्दीन बहरामशाह को गद्दी पर बैठाया।
  • रजिया की हत्या 13 अक्टूबर, 1240 ई0 को डाकुओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई।
  • मुईजुद्दीन बहरामशाह की भी हत्या मई 1242 ई0 में कर दी गई।
  • मुईजुद्दीन बहरामशाह के बाद दिल्ली की गद्दी पर अलाउद्दीन मसूद शाह बैठा।
  • बलबन ने षड्यंत्र के द्वारा 1246 ई0 में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बनावा दिया।
  • नासिरुद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था जो टोपी सीकर अपना जीवन-यापन करता था।
  • बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ किया था।
  • बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। वह इल्तुतमिश का गुलाम था।
  • तुर्कान-ए-चिहलगानी ( इल्तुतमिश के द्वारा बनाया गया चालीस गुलाम सरदारों का संगठन) का विनाश बलबन ने किया था।

  • बलबन 1266 ई0 में गियासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। यह मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा।
  • बलबन ने राजदरबार में सिजदा  और पैबोस प्रथा की शुरुआत की थी।
  • बलबन ने फारसी रीति-रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को शुरु करवाया।
  • अपने विरोधियों के प्रति बलबन कठोर 'लौह एवं रक्त' की नीति का पालन करता था।
  • नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलूँग खाँ की उपाधि प्रदान की।
  • गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्मुद्दीन कैमुर्स था।

नोट:  बलबन के राजदरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि           अमिर खुसरो और अमिर हसन रहते थे।



➢   चुकिं गुलाम वंश दिल्ली सल्तनत का ही भाग           है इसलिए दिल्ली सल्तनत के बारें में कुुुुछ               महत्वपूर्ण बातें जान ले।

        दिल्ली सल्तनत (1206 -1526 ई0) 


        राजधानी:       लाहौर (1206 -1210 ई0)
                              बदांयू  (1210 -1214 ई0)
                              दिल्ली (1214 -1327 ई0)
                              दौलताबाद (1327 -1334 ई0)
                              दिल्ली   (1334 -1506 ई0)
                             आगरा  (1506 -1526 ई0)

        भाषा:               फारसी
                                हिंदवी 
        धर्म:                  सुन्नी इस्लाम 
        शासन:              सल्तनत 

        प्रथम सुल्तान:    कुतुबुद्दीन ऐबक
        अंतिम सुल्तान:   इब्राहिम लोदी

        स्थापना:        जून, 1206 ई0
       अंत:              पानीपत का प्रथम युद्ध  (अप्रैल,                             1526 ई0)

     ➢  दिल्ली सल्तनत के बारे महत्वपूर्ण बिंदु


    • 1206 ई0 से 1526 ई0 तक भारत में दिल्ली सल्तनत के पाँच राजवंशों ने शासन किया। इन पाँच राजवंशों के शासनकाल को सल्तनतकाल कहा जाता हैं। यह पाँच राजवंशों निम्न हैं।
    1. गुलाम वंश  (1206 -1290 ई0) 
    2. खिलजी वंश  (1290 -1320 ई0)
    3. तुगलक वंश  (1320 -1398 ई0)
    4. सैयद वंश  (1414 -1451 ई0)
    5. लोदी वंश  (1451 -1526 ई0)

    • तुर्क आक्रमणकारियों द्वारा शासन किए हुए राज्य को ही दिल्ली सल्तनत कहा जाता हैं। 
    • सल्तनतकाल (1206 ई0-1526 ई0) में सुल्तान राज्य का सर्वोच्च अधिकारी होता था।
    • सुल्तान स्वयं को अल्लाह का प्रतिनिधि मानता था। कुरान के नियमों के अनुसार शासन चलाता था।
    • सुल्तान को शासन-कार्य में सहायता देने के लिए मंत्रिपरिषद होती थी।
    • सल्तनतकाल (1206 ई0-1526 ई0) में चार प्रकार के कर किए जाते थे, खम्स, खराज, जकात और जजिया (सिर्फ हिन्दुओं से)
    • साम्राज्य प्रांतो में बंटे होते थे। प्रत्येक प्रांतो का शासक सूबेदार होता था।
    • प्रधानमंत्री को वजीर कहा जाता था।

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