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Thursday, August 23, 2018

मौर्य साम्राज्य।

 

                  मौर्य साम्राज्य


 राजधानी:   पाटलिपुत्र (पटना)
 भाषा:         संस्कृत, प्रकति
 धर्म:           बौद्ध, जैन एंव आजीवक
 शासन:       राजतंत्र 


 ➢ मौर्य वंश के बारे में महत्वपूर्ण बातें:


  • मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था।
  • चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई0 पू0 में हुआ था।
  • घनानंद को हराने में चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री बना।
  • चाणक्य (कौटिल्य/ विष्णुगुप्त) द्वारा लिखित पुस्तक है अर्थशास्त्र, जिसका संबंध राजनीती से है।
  • नंद वंश के विनाश करने में चंद्रगुप्त मौर्य ने कश्मीर के राजा पर्वतक से सहायता प्राप्त की थी।
  • चंद्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ई0 पू0 में बैठा।
  • चंद्रगुप्त ने 305 ई0 पू0 में सेल्यूकस निकेटर को हराया।
  • सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चंद्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि-शर्तों के अनुसार चार प्रांत काबुल, कंधार, हेरात और मकरान चंद्रगुप्त को दिए।
  • चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दीक्षा ली थी।
  • मेगास्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त के दरबार में रहता था।
  • मेगास्थनीज द्वारा लिखी गयी पुस्तक इंडिका है।
  • चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस निकेटर के बीच हुए युद्ध का वर्णन एप्पियानस ने किया है।
  • प्लूटार्क के अनुसार चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिया था।


  • चंद्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के                श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया।

    • चंद्रगुप्त मौर्य की म्रत्यु 298 ई0 पू0 में श्रवणबेलगोला में उपवास के द्वारा हुई।



    • चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ, जो 298 ई0 पू0 में मगध की राजगद्दी पर बैठा।
    • अमित्रघात के नाम से बिंदुसार जाना जाता है। अमित्रघात का अर्थ है- शत्रु विनाशक
    • बिंदुसार आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था।
    • 'वायुपुराण' में बिंदुसार को भद्रसार (वारिसार) कहा गया है।
    • स्टैबो के अनुसार सीरीयन नरेश एण्टियोकस ने बिंदुसार के दरबार में डाइमेकस नामक राजदूत भेजा। इसे ही मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी माना जाता है।
    • जैन ग्रंथों में बिंदुसार को सिहंसेन कहा गया है।
    • बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला में हुए दो विद्रोहों का वर्णन है। इस विद्रोहों को दबाने के लिए बिंदुसार ने पहले सुसीम को और बाद में अशोक को भेजा।
    • एथीनियस के अनुसार बिंदुसार ने सीरीयन नरेश एण्टियोकस से मदिरा, सूखे अंजीर और एक दार्शनिक भेजने की प्रार्थना की थी।
    • बौद्ध विद्वान तारानाथ ने बिंदुसार को 16 राज्यों का विजेता बताया है।




    • बिंदुसार का उत्तराधिकारी अशोक महान हुुआ जो 269 ई0 पू0  में मगध की राजगद्दी पर बैठा।


  • अशोक की माता का नाम सुभद्रंगी था।

    • राजगद्दी पर बैठने के समय अशोक अवंति का राज्यपाल था।
    • मास्की और गुर्जरा अभिलेख में अशोक का नाम अशोक मिलता है।
    • पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है।
    • अशोक ने अपने अभिषेक के आठवें वर्ष लगभग 261 ई0 पू0 में कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया।
    • प्लिनी का कथन है कि म्रिस का राजा फिलाडेल्फस टाॅलमी- II ने पाटलिपुत्र में डियानीसियस नाम का एक राजदूत भेजा था।
    • उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी।
    • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।


    • मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था। इसकी हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 185 ई0 पू0 में कर दी और शुंग वंश की नींव डाली।
    • अशोक के समय मौर्य साम्राज्य में प्रांतों की संख्या 5 थी। प्रांतों को चक्र कहा जाता था।
    • प्रांतों के प्रशासक कुमार या आर्यपुत्र या राष्ट्रिक कहलाते थे।
    • प्रांतों का विभाजन विषय में किया गया था, जिसका प्रशासक विषयपति होता था।
    • प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी, जिसका मुखिया ग्रामीक कहलाता था।
    • भारत में शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने ही किया।
    • अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी, खरोष्टी, ग्रीक और अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है।
    • ग्रीक और अरमाइक लिपि का अभिलेख अफगानिस्तान से,खरोष्टी लिपि का अभिलेख उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से और शेष भारत से ब्राह्मी लिपि का अभिलेख मिले हैं।
    • अशोक के शिलालेख की खोज 1750 ई0 में पाद्रेटी फेन्थैलर ने की थी। इसकी संख्या- 14 है।
    • अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में सबसे पहली सफलता 1837 ई0 में जेम्स प्रिसेप को हुई।

    नोट:  विश्वविजेता सिकंदर महान का सेल्यूकस निकेटर          सेनापति था।


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