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Tuesday, May 8, 2018

शिवाजी के पश्चात मराठा साम्राज्य ।

                    मराठा साम्राज्य 


राजधानी--  :  रायगड़, जिंजी, सातारा, पूणे                                                         
भाषा--        : मराठी और संस्कृत

मुद्रा--          :   रूपया, पैसा, मोहर, होन एवं                                शिवराय 

धर्म--           :   हिन्दू धर्म 

शासन--       :   राजतंत्र 
विधानमंडल :   अष्टप्रधान

क्षत्रपति--   शिवाजी     (प्रथम)    (1645-1680)
                    प्रताप सिंह  (अंतिम)  (1808-1818)

पेशवा--     मोरोपंत पिंगले (प्रथम)(1674-1889)
                   बाजीराव-II    (अंतिम) (1803-1818)
                      

  • शिवाजी का उत्तराधिकारी शम्भाजी था।
  • शम्भाजी ने उज्जैन के हिंदी एवं संस्कृत के प्रकांड विद्वान कवि कलस को अपना सलाहकार नियुक्त किया।
  • 21 मार्च, 1689 ई0 को मुगल सेनापति मखर्रम खाँ ने संगमेश्वर में छिपे हुए शम्भाजी एवं कवि कलस को गिरफ्तार कर लिया और उसकी हत्या कर दी।
  • शम्भाजी के बाद 1689 ई0 में राजा राम को नए छत्रपति केे रूप में राज्याभिषेक किया गया।
  • राजा राम ने अपनी दूसरी राजधानी सतारा को बनाया।
  • राजाराम मुगलों से संघर्ष करता हुआ 1700 ई0 में मारा गया।
  • राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई अपने 4 वर्षीय पुत्र  शिवाजी- II का राज्याभिषेक करवाकर मराठा साम्राज्य की वास्तविक संरक्षिका बन गई।
  • 1707 ई0 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शम्भाजी के पुत्र साहू ( जो औरंगजेब के कब्जे में था) वापस महाराष्ट्र आया।
  • साहू एवं ताराबाई के बीच 1707 ई0 में खेड़ा का युद्ध हुआ। 
  • साहू ने 22 जनवरी, 1708 ई0 को सतारा में अपना राज्याभिषेक करवाया।
  • साहू के नेतृत्व में नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्तक पेशवा लोग थे, जो साहू के पैतृक प्रधानमंत्री थे। पेशवा पद पहले पेशवा के साथ वंशानुगत हो गया था
  • 1707 ई0 में साहू ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया। इनकी मृत्यु 1720 ई0 में हुई। 
  • बालाजी विश्वनाथ के बाद बाजीराव I पेशवा बना।
  • पेशवा बाजीराव प्रथम ने मुगल साम्राज्य की कमजोर हो रही स्थिति का फायदा उठाने के लिए साहू को उत्साहित करते हुए कहा कि     "आओ, हम इस पुराने वृक्ष के खोखले तने पर प्रहार करें, शाखाएँ तो स्वयं गिर जाएगी, हमारे प्रयत्नों से मराठा पताका कृष्णा नदी से अटक तक फहराने लगेगी"  उत्तर में साहू ने कहा - "निश्चित रूप से ही  आप इसे हिमालय के पार गाड़ देंगे, नि:संदेह आप योग्य पिता के योग्य पुत्र है "
  • पालखेड़ा का युद्ध 7 मार्च, 1728 ई0 बाजीराव प्रथम और निजामुलमुल्क के बीच हुआ जिसमें निजाम की हार हुई। निजाम के साथ मुंशी शिवगाँव की संधि हुई।
  • दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव प्रथम था,जिसने 29 मार्च, 1737 ई0 को दिल्ली पर धावा बोला था। उस समय मुगल बादशाह मुहम्मदशाह दिल्ली छोड़ने के लिए तैयार हो गया था।
  • बाजीराव प्रथम मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण चर्चित रहा था।
  • 1740 ई0 में बाजीराव प्रथम की मृत्यु हो गयी।
  • बाजीराव प्रथम के बाद बालाजी बाजीराव 1740 ई0 में पेशवा बना।
  • पेशवा बालाजी बाजीराव को नाना साहेब के नाम से भी जाना जाता था।
  • 1750 ई0 में संगोला संधि के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए।
  • झलकी की संधि हैदराबाद के निजाम एंव बालाजी बाजीराव के मध्य हुई।
  • बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध  (14 जनवरी, 1761 ई0) हुआ, जिसमें मराठों की हार हुई। इस हार को नहीं सह पाने के कारण बालाजी बाजीराव की मृत्यु 23 जून,  1761 ई0 में हो गयी।
  • बालाजी बाजीराव की मृत्यु के बाद माधवराव नारायन प्रथम 1761 ई0 में पेशवा बना। इसने मराठों की खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया।
  • माधवराव ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर रह रहे मुगल बादशाह शाह आलम-II को पुन: दिल्ली की गद्दी पर बैठाया। मुगल बादशाह अब मराठों का पेंशनभोगी बन गया।
  • माधवराव की बीमारी के कारण 18 नवम्बर, 1772 ई0 को केवल 27 वर्ष के आयु में निधन हो गया। उसकी मृत्यु से मराठों को बड़ा धक्का लगा।
  • माधवराव की मृत्यु के बाद उसका भाई नारायणराव पेशवा बना। किन्तु कुछ समय बाद  नारायणराव की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव (राघोवा) ने करवा के स्वयं पेशवा बन गया।
  • नाना फड़नवीस ने राघोवा का विरोध किया और मराठों का एक दल बनाकर नारायणराव के अल्पायु पुत्र माधवराव नारायण-II को पेशवा घोषित कर दिया।
  • माधवराव नारायण- II अल्पायु होने कारण मराठा राज्य की देख-रेख बारहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद करती थी। इस परिषद के दो महत्वपूर्ण सदस्य महादजी सिंधिया एवं नाना फड़नवीस थे।

प्रथम आँग्ल-मराठा युद्ध : 1775-82 ई0 तक           चला। इसके बाद 1776 ई0 में पुरंदर की संधि हुई।     इसके तहत कंपनी ने रघुनाथ राव (राघोवा) के           समर्थन को वापस लिया। 17 मई, 1782 को               सालाबाई की संधि के तहत यह युुुुद्ध समाप्त हुआ।     इस युुद्ध मेें मराठों की जीत हुई थी।

द्वितीय आँग्ल-मराठा युद्ध : 1803-1805 ई0           इसमें भोंसले (नागपुर) ने अंग्रेजों को चुनौती दी।           इसके फलस्वरूप 7 सितम्बर, 1803 ई0 को               देवगावँ की संधि हुई। इस युुुुद्ध में अंग्रेजो की जीत       हुई।

➢ तृतीय आँग्ल-मराठा युद्ध : 1816-1818 ई0 में         हुआ। इसी युद्ध से मराठों का पतन हो गया और           पेशवा के वंशानुगत पद को समाप्त कर दिया। इस         युद्ध मेें अंग्रेेेजो की निर्णायक जीत हुई।

  •  अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव-II था, जो अंग्रेज की सहायता से पेशवा बना था। मराठों के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था। यह सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था।
  • पेशवा बाजीराव-II ने कोरेगावँ एवं अष्टी के युद्ध मेें हारने के बाद फरवरी 1818 ई0 में मेल्कन के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया। अंग्रेजों ने पेशवा के पद को समाप्त कर बाजीराव- II को कानपुर के निकट बिठूर में पेंशन पर जीने के लिए भेज दिया, जहाँ 1853 ई0 में इसकी मृृत्यु हो गयी।

➤   अंग्रेज-मराठा संघर्ष के अन्तर्गत होनेवाली                प्रमुख संधियाँ.
   
           संधियाँ                          वर्ष 
सूरत की संधि                      1775
पुरंदर की संधि                     1776
बड़गावँ की संधि                  1779
सालाबाई की संधि                1782
बसीन की संधि                    1802
देवगाँव की संधि                  1803

सुर्जी अर्जुनगावँ की संधि        1803
राजापुर घाट की संधि            1804
नागपुर की संधि                   1816
ग्वालियर की संधि                 1817
पूना की संधि                       1817
मंडसौर की संधि                  1818



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