चालुक्य वंश (कल्याणी)
राजधानी: वतापी (बदामी), कल्याणी, वेंगीभाषा: कन्नड, संस्कृत
धर्म: हिंदू, बौद्ध, जैन
शासन: राजतंत्र
➢ चालुक्य वंश (कल्याणी) के बारे में महत्वपूर्ण बातें:
- कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना तैलप- II ने की थी।
- तैलप- II की राजधानी मान्यखेट थी।
- चालुक्य वंश (कल्याणी) के प्रमुख शासक हुए- तैलप- I, तैलप- II, विक्रमादित्य, जयसिंह, सोमेश्वर, सोमेश्वर-II, विक्रमादित्य-VI, सोमेश्वर-III, और तैलप- III।
- सोमेश्वर-I ने मान्यखेट से राजधानी हटाकर कल्याणी (कर्नाटक) को बनाया।
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा विक्रमादित्य-VI था।
- विल्हण और विज्ञानेश्वर विक्रमादित्य-VI के दरबार में ही रहते थे।
- मिताक्षरा (हिंदू विधि ग्रंथ, याज्ञवल्क्य स्मृति पर व्याख्या) नामक ग्रंथ की रचना महान विधिवेत्ता विज्ञानेश्वर ने की थी।
- विक्रमांकचरित की रचना विल्हण ने की थी। इसमे विक्रमादित्य-VI के जीवन पर प्रकाश डाला गया है।
चालुक्य वंश (वतापी)
➢ चालुक्य वंश (कल्याणी) के बारे में महत्वपूर्ण बातें:
➢ चालुक्य वंश (कल्याणी) के बारे में महत्वपूर्ण बातें:
- वतापी के चालुक्य वंश की स्थापना जयसिंह ने की थी।
- इसकी राजधानी वतापी (बीजापुर) थी।
- चालुक्य वंश (वतापी) के प्रमुख शासक थे- पुुुुलकेशिन-I,किर्त्तिवर्मन, पुुुुलकेशिन-II, विक्रमादित्य, विनयादित्य, और विजयादित्य।
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा पुुुुलकेशिन-II था।
- महाकूट स्तम्भ लेख से प्रमाणित होता है कि पुुुुलकेशिन बहुुुु सुवर्ण और अग्निष्टोम यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
- पुुुुलकेशिन-II ने हर्षवर्ध्दन को हराकर परमेश्वर की उपाधि धारण की।
- पुुुुलकेशिन-II वातापी चालुक्य शासकों में सर्वाधिक पराक्रमी और महान था। इसने 'दक्षिणापथेश्वर' की उपाधि धारण की थी।
- पल्लववंशी शासक नरसिंहवर्मन प्रथम ने पुुुुलकेशिन-II को परास्त किया और उसकी राजधानी बादामी पर अधिकार कर लिया। सम्भवतः इसी युद्ध में पुुुुलकेशिन-II मारा गया। इसी विजय के बाद नरसिंहवर्मन ने 'वातापिकोड' की उपाधि धारण की।
- ऐलोह अभिलेख का संबंध पुुुुलकेशिन-II से है।
- जिनेन्द्र का मेगुती मंदिर पुुुुलकेशिन-II ने बनवाया था।
- अजन्ता के एक गुफा चित्र में फारसी दूत-मंडल का स्वागत करते हुए पुुुुलकेशिन-II को दिखाया गया है।
- वातापी का निर्माणकर्त्ता किर्त्तिवर्मन को माना जाता है।
- मालवा को जीतने के बाद विनयादित्य ने सकलोत्तरपथनाथ की उपाधि धारण की।
- विक्रमादित्य- II के शासनकाल में ही दक्कन में अरबों ने आक्रमण किया। इस आक्रमण का मुकाबला विक्रमादित्य के भतीजा पुलकेशी ने किया। इस अभियान की सफलता पर विक्रमादित्य- II नेे इसे अवनिजनाश्रय की उपाधि प्रदान की।
- विक्रमादित्य- II की प्रथम पत्नी लोकमहादेवी ने पट्टदकल में विरूपाक्षमहादेव मंदिर का निर्माण करवाया।
- विक्रमादित्य- II की दूसरी पत्नी त्रैलोक्य दैवी ने त्रैलोकेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।
- इस वंश का अंतिम राजा किर्त्तिवर्मन- II था। इसे इसके सांमत दंतिदुर्ग ने परास्त कर एक नये वंश (राष्ट्रकूट वंश) की स्थापना की।
चालुक्य वंश (वेंगी)
➢ चालुक्य वंश (कल्याणी) के बारे में महत्वपूर्ण बातें:
➢ चालुक्य वंश (कल्याणी) के बारे में महत्वपूर्ण बातें:
- बेंगी के चालुक्य वंश की स्थापना विष्णुवर्धन था।
- इसकी राजधानी बेंगी (आंध्र प्रदेश) में थी।
- इस के प्रमुख शासक थे - जयसिंह-I, इंद्रवर्धन, विष्णुवर्धन-II, जयसिंह-II, और विष्णुवर्धन-III.
- इस वंश के सबसे प्रतापी राजा विजयादित्य-III था। जिसका सेनापति पंडरंग था।
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